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दो एवं चतुर्थ वर्षीय बी.एड़. पाठ्यक्रम का अ/यापक प्रशिक्षणार्थियों की सृजनात्मकता पर पड़ने वाले प्रभाव का तुलनात्मक अ/ययन

डॉ. किरण सिडाना एवं अनिता पारीक (Dr. Kiran Sidana & Anita Pareek)

सृजनात्मकता एक ऐसी घटना है जिसके द्वारा कुछ नया और मूल्यवान बनाया जाता है। इस तरह से कल्पना की गई अवधारणा किसी भी तरह से खुद को प्रकट कर सकती है, लेकिन अक्सर, वे कुछ ऐसा बन जाते हैं जिसे हम देख सकते हैं इसलिए सृजनात्मकता नए विचारों की कल्पना को प्रेरित करता है और सृजनात्मकता शिक्षण को सीधे आगे बढ़ाता है। पूर्व में राजस्थान व अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा 1 वर्ष की प्रशिक्षण अवधि सेवापूर्व अ/यापक शिक्षा की थी। आज इस अवधि को दो वर्ष एवं चार वर्ष का कर दिया गया है, जिसमे कई बदलाव किये गयें हैं जिससे बीएड पाठ्यक्रम में शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रश्न चिह्न लग गया हैं। प्रस्तुत शोध पत्र का प्रमुख उददेश्य दो एवं चतुर्थ वर्षीय बी.एड़. पाठ्यक्रम का अ/यापक प्रशिक्षणार्थियों की सृजनात्मकता पर पडने वाले प्रभाव का तुलनात्मक अ/ययन करना हैं। शोध में मानकीकृत उपकरण प्रयोग किया गया तथा सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया। निष्कर्ष में दो एवं चतुर्थ वर्षीय बी.एड़. पाठ्यक्रम का अ/यापक प्रशिक्षणार्थियों की सृजनात्मकता का मान औसत से अधिक पाया गया तथा दो एवं चतुर्थ वर्षीय बी.एड़. पाठ्यक्रम का अ/यापक प्रशिक्षणार्थियों की सृजनात्मकता के मध्यमानों में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया गया।

शब्दकोशः दो एवं चतुर्थ वर्षीय बी.एड़. पाठ्यक्रम, सृजनात्मकता।
 


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