आर्थिक विकास की गति को तीव्र करना वर्तमान समय की पहली प्राथमिकता है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने तथा विभिन्न क्षेत्रों एवं प्रदेशों के बहुआयामी विकास हेतु वर्तमान समय में वृद्धि धु्रव एवं वृद्धि केन्द्रों की संकल्पना पर विशेष बल दिया जा रहा है। वृद्धि केन्द्रों की संकल्पना को आर्थिक एवं प्रादेशिक विकास का आधार बनाने के अनेक प्रयास किये गये हैं। परन्तु अभी तक पूर्ण विकसित एवं सर्वमान्य नीति सामने नहीं आ पायी है। विकास के सन्दर्भ में इस प्रकार के अनेक शब्द प्रयोग में लाये गये हैं जैसे - वृद्धि धु्रव, वृद्धि केन्द्र तथा वृद्धि ग्रन्थि आदि। अनेक औद्योगिक एवं विकसित देशों में वृद्धि एवं वृद्धि केन्द्रों को क्षेत्रीय विकास के एक महत्वपूर्ण यन्त्र के रूप में अपनाया जा रहा है।
Article DOI: 10.62823/IJEMMASSS/7.1(II).7278