पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसी सामाजिक समस्या है ेिजससे मानवसहित जैव समुदाय के लिए जीवन की कठिनाईयाँ बढ़ती जा रही हैं। पर्यावरण के तत्वों में गुणात्मक ह्रास के कारण आज प्रकृति एवं जीवों का आपसी संबंध बिगड़ता जा रहा है, जिनका समाधान अत्यावष्यक है। मानव-पर्यावरण सम्बंध भूगोल की मौलिक विषय वस्तु है। मानव की समस्त क्रियाएॅं परिवेष से नियंत्रित होती है मानव की विविध संस्कृतियाँ, मानव पर्यावरण के संबंधों के प्रतीक हैं तथा पर्यावरण अनुक्रम इसके बिगड़ते सम्बधों का प्रतिफल हैं
पर्यावरण और पारिस्थितिकी के अ/ययन में भूगोल की महत्ता इस बात से प्रमाणित है कि यही एक मात्र विषय है जो भौतिक परिवेष और मानवीय पर्यावरण प्रदूषण विष्वस्तरीय चिन्ता का विषय बन गया है। अतः अब यह आवष्यक हो गया है कि पर्यावरण के बीच अन्तः क्रियाओं की विभिन्न प्रक्रियाओं एवं स्थानिक प्रतिरूपों का पारिस्थितिकी तन्त्र के सन्दर्भ में अ/ययन किया जाय।