भारत गाँवों का देश है और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बिना राष्ट्रीय विकास असंभव है। ग्रामीण भारत में निवास करने वाली सम्पूर्ण जनसंख्या का मुख्य कार्य कृषि है। ग्रामीण विकास का शाब्दिक अर्थ है ग्रामीणों का चहुँमुखी विकास, जिससे वहाँ की जनता का आर्थिक विकास हो सके। जिसमें लघु कृषक, सीमांत, खेतिहर मजदूर और श्रमिक वर्ग के लोग शामिल किये जाते है। सम्पूर्ण देश में सभी प्रकार के खाद्यानों की आपूर्ति ग्रामीण कृषक ही करते हैं। भारत के किसानों को अन्नदाता कहा जाता है, वास्तविक रूप में इनकी सुरक्षा सरकार व समाज का मुख्य दायित्व होना चाहिए जिससे किसानों को कृषि बीमा पर सरकार का /यान आकर्षित किया जाना चाहिये ताकि किसान व उनका पूरा परिवार सुरक्षित रहे। भूमि पर बढ़ते दबाव को देखते हुए उत्पादकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। हमारे पास सीमित कृषि भूमि है और वह भी शहरीकरण और औद्योगीकरण की जरूरतों के कारण कम होती जा रही है। कृषि उत्पादन में वृद्धि कर कृषि उत्पादन का अधिक से अधिक निर्यात करना चाहिये। जिससे अपेक्षाकृत अधिक लाभ हो तथा किसानों को भी अधिक धन प्राप्त हो सके। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कृषकों के विकास के लिए विभिन्न परियोजनाएं चलाई जा रही है, जिससे ग्रामीण विकास संभव हो सकेगा।
शब्दकोशः कृषि, योजना, ग्रामीण विकास, कृषक, आर्थिक विकास औद्योगीकरण।