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दक्षिण और पूर्वी भारत में इन्फ्लूएंजा का प्रसार और जनस्वास्थ्य पर प्रभाव

मिथलेश सोलंकी (Mithlesh Solanki)

यह शोध दक्षिण और पूर्वी भारत में इन्फ्लूएंजा (मौसमी फ्लू) के प्रसार, प्रभाव, रोकथाम, और जनस्वास्थ्य प्रणाली की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करता है। इन्फ्लूएंजा एकअत्यधिक संक्रामक श्वसन रोग है जो हर वर्ष लाखों लोगों को प्रभावित करता है, विशेष रूप से कमजोर वर्गों, बच्चों, वृद्धों और पहले से बीमार व्यक्तियों को। भारत के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों में जलवायु, जनसंख्या घनत्व, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता तथा सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ इन्फ्लूएंजा के प्रसार को अलग-अलग रूप में प्रभावित करती हैं। यह अ/ययन विभिन्न सरकारी रिपोर्टों, अस्पताल रिकॉर्ड्स, और क्षेत्रीय स्वास्थ्य डेटा के विश्लेषण पर आधारित है, जिसमें यह देखा गया कि इन क्षेत्रों में इन्फ्लूएंजा के मामलों में मौसमी बदलाव, स्वास्थ्य अवसंरचना की सीमाएँ, और जन-जागरूकता की कमी के कारण संक्रमण की दर बढ़ जाती है। इस शोध में यह भी विश्लेषणकियागया है कि किस प्रकार कोविड-19 महामारी के बाद इन्फ्लूएंजा की पहचान, रोकथाम और टीकाकरण अभियान में कुछ सकारात्मक परिवर्तन आए हैं, किन्तु अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच और संसाधनों की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अंततः, शोध इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि दक्षिण और पूर्वी भारत में इन्फ्लूएंजा से प्रभावी रूप से निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर केंद्रित स्वास्थ्य नीतियों, टीकाकरण कार्यक्रमों, जन जागरूकताअभियानों और क्षेत्रीय जलवायु को /यान में रखते हुए निगरानी प्रणालियों की सुदृढ़ता आवश्यक है।

शब्दकोशः इन्फ्लूएंजा, महामारी, स्वास्थ्य, टीकाकरण।
 


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