वर्तमान समय में राजनीति और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सामाजिक परिवर्तन और समावेशी विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यद्यपि विश्व के अनेक देशों, विशेषकर भारत जैसे विकासशील राष्ट्रों में महिला नेतृत्व और प्रतिनिधित्व की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, फिर भी लिंग आधारित पूर्वाग्रह, सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ, और संरचनात्मक असमानताएँ महिलाओं की पूर्ण सहभागिता को सीमित करती हैं। यह शोध-पत्र राजनीति और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की लिंग पहचान, नेतृत्व में उनकी भूमिका, और प्रतिनिधित्व के स्तर का विश्लेषण करता है। शोध के अंतर्गत द्वितीयक स्रोतों और चयनित केस स्टडी के माध्यम से उन कारकों की पहचान की गई है, जो महिला राजनेताओं के सामाजिक स्वीकृति, राजनीतिक निर्णय-निर्माण और जन प्रतिनिधित्व की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। अध्ययन में यह पाया गया कि आरक्षण नीति, महिला सशक्तिकरण अभियानों तथा शैक्षिक-सामाजिक जागरूकता ने महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण को नई दिशा दी है, किंतु समानता प्राप्ति की प्रक्रिया अभी भी बाधित है। शोध निष्कर्षों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि राजनीति में महिलाओं की लिंग पहचान न केवल सामाजिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि नीति-निर्धारण में विविध दृष्टिकोणों और अनुभवों को सम्मिलित करने का माध्यम भी है। साथ ही, नेतृत्व के स्तर पर महिलाओं की सहभागिता उनके समुदाय और समग्र समाज की स्थिति सुधारने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। अतः यह अध्ययन सार्वजनिक जीवन में लिंग-समता आधारित समावेशी नेतृत्व और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में नीतिगत सुधार तथा सामाजिक दृष्टिकोण परिवर्तन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
शब्दकोशः लिंग पहचान, महिला नेतृत्व, राजनीति, सार्वजनिक जीवन, प्रतिनिधित्व, सशक्तिकरण।