जयप्रकाश नारायण भारत में राजनीतिक चिन्तन की दो निरन्तर चलने वाली परम्पराओं में से एक का प्रतिनिधित्व करते दिखते हैं। देश के राजनीतिक विचारकों की एक परम्परा उनकी है जिनकी विशिष्टता अपने जीवन के विविध चरणों में लगभग स्पष्ट विचारधाराजन्य निरन्तरता रखने की रही है उन्हें रूढ़िवादी विचारक कहा जा सकता है। इनके विपरीत भारतीय राजनीतिक चिन्तन की दूसरी परम्परा में वे लोग हैं जिनके बौद्धिक रूप से अति उर्वर मस्तिष्क में असाधारण गतिशीलता रही जो अनुभव की दृष्टि से अति वैविध्यपूर्ण व्यक्तित्व के विचारक रहे। जय प्रकाश नारायण भारत के राजनीतिक चिन्तन की दूसरी परम्परा के प्रतिरूप दिखते हैं।
शब्दकोशः भारतीय राजनीति, बौद्धिक रूप, राजनीतिक चिन्तन, वैविध्यपूर्ण व्यक्तित्व, अवदान-समग्र मूल्यांकन।