यह शोधपत्र धार जिले के ग्रामिण कृषकों के आर्थिक विकाश में बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सुविधाओं की भुमिका का विश्लेषणात्मक अ/यन प्रस्तुत करता है। जिसमे बैंक द्वारा कृषकों को दिये गये ऋण, बचत योजनाएॅं ,बिमा सेवाएं तथा वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों का विश्लेषण किया गया है। शोध में यह पाया गया की बैंक ऑफ इंडिया की विभिन्न योजनाओं जैसे किसान क्रेडिट कार्ड, कृषि ऋण, फसल बिमा एवं मुद्रा योजना इत्यादि ने किसानों की उत्पादन क्षमता, आय वृ़ि़द्ध एवं जीवन स्तर सुधार में महत्वपुर्ण योगदान किया गया है। इन योजनाओं से किसानों को आवश्यक वित्तीय सहायता समय पर प्राप्त हुई, जिससे वें खेती में आधुनिक साधनों के उपयोग कर सके तथा आपातकालीन स्थितियों में आर्थिक रुप से सुरक्षित महसूस किए। इसके अतिरिक्त बैंक द्वारा वित्तीय साक्षरता शिविरों एवं मोबाइल बैंकिंग जैसी सेवाओं ने किसानों को बैंकिंग व्यवस्था से जोडने में सहायक भूमिका निभाई। कुल मिलाकर यह अ/ययन दर्शाता है कि बैंक ऑफ इंडिया की वित्तीय सुविधाएॅ धार जिले के कृषकों के सतत आर्थिक विकास में सहायक सिद्ध हुई हैं। यह अ/ययन प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों प्रकार के ऑकडों के मा/यम से सम्पन्न किया गया है, जिसमें धार जिले के चयनित ग्रामों के कृषकों से साक्षात्कार एवं प्रश्नावली के मा/यम से जानकारी प्राप्त की गई। अ/ययन से यह भी स्पष्ट होता हैं कि बैंक की पहुॅुच अब दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों तक भी होने लगी हैं, जिससे अधिक से अधिक कृषक औपचारिक वित्तीय तंत्र से जुड रहे हैं। यद्यपि कुछ चुनौतियॉ जैसे जागरुकता की कमी, तकनीकी ज्ञान की सीमाएॅ एवं दस्तावेजी प्रक्रियाओं की जटिलता अभी भी विद्धमान हैं, तथापि बैंक ऑफ इंडिया इन समस्याओं के समाधान हेतु निरंतर प्रयासरत हैं। अ/ययन में यह भी सिफारिश की गई। कि बैंक कों कृषकों के आवश्कताओं के अनुरुप योजनाओं को अधिक सरल एवं सुलभ बनाना चाहिए तथा ग्रामीण स्तर पर वित्तीय शिक्षा को और बढावा देना चाहिए। समग्रतः यह निष्कर्ष निकाला गया है कि बैंक ऑफ इंडिया की वित्तीय पहल धार जिले के ग्रामीण कृषकों के आर्थिक सशक्तिकरण में एक सशक्त साधन बन रही हैं। जो दीर्घकालिन ग्रामीण विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। इसके आतिरिक्त, अ/ययन में यह भर उल्लेखनीय तथ्य सामने आए हैं कि जिन कृषकों ने नियमित रूप से बैंक ऑफ इंडिया की योजनाओं का लाभ लिया, वे पारंपरिक कृषि पद्धतियों से हटकर आधुनिक तकनीकों को अपनाने मे लगे हैं। इससे उनकी उत्पादन लागत में कमी आई है और लाभ में वृद्धि हुई हैं। साथ ही, कृषि के अलावा पशुपालन, बागवानी एवं लघु उद्योगों जैसे वैकल्पिक आजीविका स्त्रोतों को अपनाने में भी बैंक की ऋण योजनाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। बैंक द्वारा स्वयं सहायता समूहों के मा/यम से महिलाओं को भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई, जिससे महिलाओं में आत्मनिर्भरता की भावना उत्पन्न हुई हैं। यह पहल ग्रामीण समाज में लैंगिक समानता एवं सामाजिक समावेशन की दिशा में सहायक रही हैं। अंततः, यह विश्लेषण दर्शाता है कि बैंक ऑफ इंडिया केवल एक वित्तीय संस्था नहीं बल्कि ग्रामीण विकास का एक सशक्त मा/यम बनकर उभरा है। यदि इन प्रयासों को सतत रूप से आगे आगे बढाया जाए एवं नीतिगत स्तर पर सहयोग प्राप्त हो, तो धार जिले के कृषकों के आर्थिक विकास को एक एई दिशा मिल सकती है। यह शोध भविष्य में अन्य जिलों के भी मॉडल के रूप में कार्य कर सकता है। इस शोध में यह भी पाया गया कि डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के विस्तार ने ग्रामीण कृषकों की बैंकिंग पहुंच को और अधिक सरल एवं तेज बना दिया है। मोबाइल बैंकिंग, एटीएम, इंटरनेट बैंकिंग तथा आधार-अधारित भुगतान प्रणालियों के मा/यम से किसान अब बैंकिंग कार्यों को अपने गॉंव से ही संचालित कर पा रहे हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत हो रही हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ावा मिला हैं। इसके साथ ही बैंक ऑफ इंडिया द्वारा समय-समय पर कृषि मेलों, प्रशिक्षण शिविरों और वित्तीय जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर कृषकों को न केवल योजनाओं की जानकारी दी जाती हैं, बल्कि उन्हें अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने हेतु मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाता है। इससे किसानों में निर्णय लेने की क्षमता में सुधार हुआ है, जिससे वे अधिक लाभकारी कृषि गतिविधियों की और अग्रसर हो सके है।
शब्दकोशः धार जिला, ग्रामीण कृषक, बैंक ऑफ इंडिया, वित्तीय सुविधाएँँ, आर्थिक विकास।