नागौर जिला राजस्थान का एक अर्ध-शुष्क और कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहाँ ग्रामीण आबादी की आजीविका मुख्यतः कृषि एवं पशुपालन पर आधारित है। पारंपरिक कृषि प्रणाली की सीमाओं, जलवायु असंतुलन और बेरोजगारी की चुनौतियों के बीच कृषि आधारित लघु एवं कुटीर उद्योग ग्रामीण विकास का एक सशक्त माध्यम बनकर उभर रहे हैं। प्रस्तुत शोध लेख में नागौर जिले में कृषि आधारित ग्रामीण उद्योगों की वर्तमान स्थिति, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, विपणन व्यवस्था, तकनीकी नवाचार, सरकारी योजनाओं की भूमिका और प्रमुख बाधाओं का बहुआयामी विश्लेषण किया गया है। लेख में यह पाया गया कि मसाला प्रसंस्करण, डेयरी उत्पाद, जैविक खाद निर्माण, दाल मिल तथा तेल इकाइयाँ जिले में सबसे अधिक क्रियाशील हैं। ये उद्योग न केवल स्थानीय रोजगार सृजन में सहायक हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, युवा उद्यमिता और ग्रामीण टिकाऊ अर्थव्यवस्था के वाहक भी हैं। तथापि, वित्तीय संसाधनों की कमी, तकनीकी प्रशिक्षण का अभाव, विपणन बाधाएँ और योजनाओं की सीमित पहुँच इन उद्योगों के समुचित विकास में प्रमुख बाधाएँ हैं। शोध के निष्कर्ष स्वरूप यह सुझाव दिया गया है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता, तकनीकी नवाचार, डिजिटल विपणन, महिला एवं युवा केंद्रित प्रशिक्षण, और क्षेत्रीय ब्रांडिंग के माध्यम से नागौर को कृषि आधारित ग्रामीण औद्योगिकीकरण का आदर्श मॉडल बनाया जा सकता है।
शब्दकोशः नागौर, कृषि आधारित उद्योग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तिकरण, विपणन, योजनाएँ, MSME.