21वीं शताब्दी में प्रौद्योगिकी का तीव्र विकास ने शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव को जन्म दे दिया है, जिसमें ऑनलाइन शिक्षा एक प्रमुख भूमिका निभा रही है। विशेषकर कोविड-19 महामारी के बाद शिक्षा का रूप व्यापक रूप से डिजिटल हो गया है, जिससे यह आवश्यक हो गया है कि हम ऑनलाइन शिक्षा की संभावनाओं और चुनौतियों का समग्र अध्ययन करें। यह शोध-पत्र ऑनलाइन शिक्षा की उपयुक्तता, उसके प्रभाव, तकनीकी आधार, शिक्षण प्रक्रियाओं में बदलाव, और शिक्षार्थियों की भागीदारी के साथ-साथ उससे जुड़ी समस्याओं जैसे इंटरनेट सुविधा, डिजिटल डिवाइड, शिक्षकों की तकनीकी दक्षता, और शिक्षण गुणवत्ता जैसे पहलुओं का गहराई से मूल्यांकन करता है।ऑनलाइन शिक्षा ने पारंपरिक शिक्षा की भौगोलिक सीमाएँ तोड़ दी हैं और शिक्षण को अधिक लचीला, सुलभ, और नवाचारी भी बना दिया है। यह प्रणाली पारंपरिक के प्रयोग में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए बहुत लाभदायक हुई है। इसके अलावा, रिकॉर्डेड लेक्चर, ई-बुक्स, और इंटरेक्टिव प्लेटफार्म ने शिक्षा को अधिक प्रभावी बना दिया है।लेकिन इसके लिए कई व्यवहारिक एवं तकनीकी विरोधाभास भी मौजूद हैं। डिजिटल उपकरणों की अनुपलब्धता, इंटरनेट की ग्रामीण क्षेत्रों में धीमी गति, शिक्षकों, छात्रों की डिजिटल साक्षरता की कमी, मूल्यांकन प्रणाली की विश्वसनीयता, तथा सामाजिक जुड़ाव की कमी जैसे समस्याएँ ऑनलाइन शिक्षा की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं।यह शोध-पत्र वर्णनात्मक शोध-प्रविधि के आधार पर है, जिनमें छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के बाद निष्कर्ष निकाले गए हैं। निष्कर्षतः यह स्पष्ट होता है कि ऑनलाइन शिक्षा के अनेक लाभ हैं, किंतु यदि इसकी चुनौतियों का समाधान न किया गया, तो यह समान अवसरों की बजाय और अधिक सामाजिक-शैक्षिक असमानता को जन्म दे सकती है। अतः इसके सफल क्रियान्वयन हेतु एक समावेशी, तकनीकी रूप से सशक्त एवं नीति-संचालित दृष्टिकोण आवश्यक है।
शब्दकोशः ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल डिवाइड, तकनीकी दक्षता, कोविड-19, लचीला शिक्षण, मूल्यांकन प्रणाली, ई-लर्निंग, शिक्षा की सुलभता, डिजिटल साक्षरता, उच्च शिक्षा।