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भारत में बाल श्रम, एक संक्षिप्त परिचय

श्री सत्यनारायण खींची (Sh. Satya Narayan Khinchi)

किसी भी देश में सबसे सुरक्षित वातावरण के हकदार उस देश के बच्चे होते है। बच्चों को एक ऐसे वातावरण या परिवेश में बड़े होने का अधिकार या जरूरत है जिसमें वे एक स्वतंत्र गरिमामय पूर्ण जीवन जीने योग्य बन सकें। बच्चों के शिक्षा व प्रशिक्षण के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए ताकि वे अपने और देश के विकास के भागीदार बन सके, शिक्षा के मा/यम से ही बच्चे जिम्मेदार व जवाबदेह नागरिक बन सकते हैं। बाल श्रम निषेध और विनियमन 1986 के अनुसार भारत में 14 वर्ष से कम आयु के बचों को किसी भी कार्य अथवा प्रक्रिया में काम करने के लिए बा/य करना बाल श्रम हैं। प्स्व् की रिपोर्ट के अनुसार 2011 की जनगणना के आधार पर वर्तमान समय में भारत के 01 करोड़ से अधिक बच्चे जिनकी आयु 05 से 14 वर्ष के म/य है, किसी न किसी बाल श्रम के दुष्कर्म पीड़ित हैं। जिसमें से 80 लाख से अधिक बच्चे ग्रामीण क्षेत्र और 20 लाख से अधिक बच्चे शहरी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। कार्यक्षेत्र के अनुसार सबसे अधिक बच्चे कृषिhttps://updes.up.nic.in/खेती के कार्य करते हैं। बाल श्रम की सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है जो देश की बाल श्रम संख्या का 21 लाख से अधिक (21.5ः) है। इसके पश्चात् बिहार (10 लाख), राजस्थान (08 लाख) तथा महाराष्ट्र (07 लाख) में है।

शब्दकोशः वातावरण, बालश्रम, शिक्षा, विकास।


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