ISO 9001:2015

श्रीमद्भगवद्गीता में संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा का स्वरूपः एक विवेचनात्मक अध्‍ययन

डॉ. पल्लवी एवं डॉ. संतोष विश्वकर्मा (Dr. Pallavi & Dr. Santosh Vishwakarma)

संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (CBT) एक आधुनिक मनोवैज्ञानिक उपचार पद्धति है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति की नकारात्मक सोच एवं व्यवहार पैटर्न को पहचान कर उन्हें सकारात्मक दिशा में परिवर्तित करना है। श्रीमद्भगवद्गीता, एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो न केवल आ/यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, बल्कि मानसिक संकटों से उबरने की प्रभावशाली विधियों को भी प्रस्तुत करता है। यह शोधपत्र श्रीमद्भगवद्गीता में निहित मनोवैज्ञानिक तत्वों और आधुनिक संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (Cognitive Behaviour Therapy – CBT) के मूल सिद्धांतों के म/य अंतर्संबंधों का विश्लेषणात्मक अ/ययन प्रस्तुत करता है। गीता में वर्णित अर्जुन के मानसिक द्वंद्व, श्रीकृष्ण द्वारा प्रदान की गई युक्तिपूर्ण, तर्कसम्मत एवं भावनात्मक मार्गदर्शन की शैली, वर्तमान मनोचिकित्सकीय परिप्रेक्ष्य में CBT के अनुरूप पाई जाती है। यह अ/ययन दर्शाता है कि कैसे गीता के श्लोक- विचार पुनर्निर्माण, भावनात्मक संतुलन, कर्तव्य के प्रति सक्रियता और आत्मबोध- जैसे CBT के महत्वपूर्ण आयामों को पुष्ट करते हैं। यह शोध न केवल श्रीमद्भगवद्गीता के आ/यात्मिक पहलुओं को आधुनिक  से जोड़ता है, बल्कि यह भी प्रतिपादित करता है कि भारतीय सांस्कृतिक संदर्भ में गीता आधारित CBT मॉडल मानसिक स्वास्थ्य सुधार हेतु एक प्रभावी, स्वदेशी विकल्प बन सकता है। यह शोधपत्र इस तथ्य की विवेचना करता है कि किस प्रकार गीता के उपदेशों में आधुनिक CBT के मूल तत्त्व विद्यमान हैं, और कैसे अर्जुन के मानसिक संघर्ष को भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों द्वारा रूपांतरित किया गया।

शब्दकोशः श्रीमद्भगवद्गीता, संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा, व्यवहार, विचार पुनर्निर्माण, मनोविज्ञान, आ/यात्मिक।
 


DOI:

Article DOI: 10.62823/IJEMMASSS/7.3(I).7841

DOI URL: https://doi.org/10.62823/IJEMMASSS/7.3(I).7841


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