रैवासा धाम, सीकर ज़िले का एक प्रमुख धार्मिक स्थल, अपनी ऐतिहासिक महत्ता और आध्यात्मिक आकर्षण के कारण प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। किंतु धार्मिक पर्यटन और बड़े पैमाने पर आयोजित मेलों के परिणामस्वरूप यहाँ की पर्यावरणीय स्थिति पर निरंतर दबाव बढ़ रहा है। इस शोध में रैवासा धाम की प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओंकृकचरा प्रबंधन, जल प्रदूषण एवं जल संकट, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण, हरित आवरण में कमी, पर्यावरणीय जागरूकता का अभाव, और भीड़ प्रबंधनकृका गहन अध्ययन किया गया है। शोध के लिए प्राथमिक स्रोतों में स्थल-निरीक्षण, स्थानीय निवासियों और मंदिर प्रबंधन के साक्षात्कार, तथा फील्ड सर्वेक्षण का उपयोग किया गया, जबकि द्वितीयक स्रोतों में सरकारी रिपोर्ट, शोध लेख और समाचार पत्रों का सहारा लिया गया। गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान केवल अस्थायी उपायों से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए दीर्घकालिक, सामुदायिक और तकनीकी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस अध्ययन में समाधान के रूप में कचरा प्रबंधन के लिए ठोस नीति, जल संरक्षण और अपशिष्ट जल उपचार, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण, हरित आवरण की बहाली, पर्यावरणीय जागरूकता एवं शिक्षा, भीड़ प्रबंधन की स्थायी योजना और स्थानीय सहभागिता जैसे बहुआयामी उपाय सुझाए गए हैं। इन उपायों का उद्देश्य न केवल रैवासा धाम की स्वच्छता और पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करना है, बल्कि इसे अन्य धार्मिक स्थलों के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना भी है। शोध से यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि प्रशासन, मंदिर प्रबंधन, स्थानीय समुदाय और श्रद्धालु संयुक्त रूप से इन नीतियों को अपनाएँ, तो रैवासा धाम आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी पवित्रता, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य को संरक्षित रख सकता है। इस प्रकार, यह अध्ययन न केवल एक धार्मिक स्थल की पर्यावरणीय चुनौतियों और उनके समाधानों का दस्तावेज़ है, बल्कि आस्था और पर्यावरण संरक्षण के संतुलित सहअस्तित्व का भी प्रमाण है।
शब्दकोशः रैवासा धाम, पर्यावरणीय प्रबंधन, कचरा प्रबंधन, जल संरक्षण, हरित आवरण।
Article DOI: 10.62823/IJEMMASSS/7.2(IV).7883