पर्यटन विभिन्न देशों के बीच और देश के भीतर आपसी समझ और तालमेल स्थापित करता है और भावनात्मक एकीकरण को बढ़ावा देता है। इक्कीसवीं शताब्दी से पर्यटन को आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में पहचाना जाने लगा है। पर्यटन उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करने की अद्भुत क्षमता है। पर्यटन सम्बन्धी क्रियाकलापों से परोक्ष रूप से दूर-दूर तक लोग जुड़े होते हैं और इसकी एक श्रृंखला सी बन जाती है। पर्यटन ने उन क्षेत्रों में रोजगार पैदा किए हैं जहाँ रोजगार के वैकल्पिक अवसर बहुत कम मौजूद हैं। पर्यटन का रोजगार और आय प्रभाव एक दूसरे से गहरे रूप में सम्बद्ध हैं और ये एक ही स्त्रोत अर्थात पर्यटक व्यय पर आश्रित होते हैं। पर्यटन उद्योग अपने स्थानीय बाजार क्षेत्रों से जितनी ज्यादा सेवाएँ और वस्तुएँ खरीदेगा, आय पर उसका गुणित प्रभाव उतना ही अधिक होगा। सेवाओं और वस्तुओं के आयात की प्रवृत्ति जितनी ज्यादा कम होगी, आय पर गुणित प्रभाव उतना ही घटेगा। विभिन्न प्रकार के करों से भी आमदनी होती है। भारत की विदेशी मुद्रा अर्जन सम्बन्धी आर्थिक गतिविधि में पर्यटन की प्रमुख भूमिका रही है। भारत सरकार का पर्यटन विभाग प्रतिवर्ष आने वाले पर्यटकों की संख्या और प्रति विदेशी पर्यटक व्यय को गुणा करके प्रतिवर्ष त्वरित आकलन प्रस्तुत करता है। विदेशी मुद्रा अर्जन की गणना करते समय पर्यटन विकास के लिए किए जाने वाले आयात को भी शामिल किया जाना चाहिए। विदेशी पर्यटन से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है। विदेशी पर्यटक अपने-अपने देशों में वस्तुओं के प्रचार के मा/यम भी बनते हैं, वस्तुओं की मांग बढ़ती हैं और निर्यात में वृद्धि होती है। पर्यटन का सामाजिक, पर्यावरण और राजनैतिक प्रभाव भी देखने को मिलता है।
शब्दकोशः आर्थिक गतिविधि, भावनात्मक एकीकरण, रोजगार, मुद्रा अर्जन, आयात, निर्यात।