ISO 9001:2015

किराडू मंदिर समूहः प्राचीन स्थापत्य वैभव से आधुनिक सांस्कृतिक पर्यटन तक

फुसा राम (Fusa Ram)

किराडू मंदिर समूह, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है, भारतीय मध्यकालीन स्थापत्य कला का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह मंदिर समूह विशेष रूप से मारू-गुर्जरा शैली की वास्तुकला का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत करता है, जिसे मध्यकालीन पश्चिमी भारत में विकसित किया गया था। इस अध्ययन में किराडू के पांच मुख्य मंदिरों दृ सोमेश्वर मंदिर, तीन शिव मंदिर और एक विष्णु मंदिर की स्थापत्य संरचना और वर्तमान स्थिति का विश्लेषण किया गया है। शोध में मंदिरों की ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज संरचनात्मक विशेषताओं का अवलोकन किया गया, जिसमें जगति, पीठ, मंडोवर और शिखर के विभिन्न खंड शामिल हैं। इसके अलावा, विंड-इंड्यूस्ड क्षरण, मौसमजनित नुकसान और जड़ी-बूटियों व पशु आकृतियों की मूर्तिकला पर हुए प्रभावों का भी अध्ययन किया गया। मंदिरों की दीवारों में ब्लॉक-टू-ब्लॉक लॉकिंग प्रणाली और कलाकार्यों की विशिष्ट बनावट ने दर्शाया कि यह स्थापत्य शिल्प किस हद तक तकनीकी रूप से उन्नत और स्थायित्वपूर्ण था। अध्ययन ने यह भी संकेत दिया कि विष्णु मंदिर की अश्वपिता पट्टी की अनुपस्थिति मंदिर के निर्माण काल और शैलीगत विकास के क्रम की पहचान करने में सहायक है। शोध के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि किराडू मंदिर समूह न केवल स्थापत्य और मूर्तिकला के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उस समय के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का भी सजीव प्रमाण प्रस्तुत करता है। इन मंदिरों के संरक्षण और मरम्मत के लिए किए गए विश्लेषण ने यह संकेत दिया कि उचित संरचनात्मक अध्ययन, सामग्री परीक्षण और संरक्षण तकनीकों के माध्यम से इन ऐतिहासिक स्मारकों को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके अलावा, यह अध्ययन पश्चिमी भारत के मध्यकालीन मंदिर स्थापत्य, उनकी सामाजिक उपयोगिता और स्थापत्य नवाचारों को समझने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। किराडू का यह मंदिर समूह आज भी न केवल पुरातात्विक और ऐतिहासिक दृष्टि से मूल्यवान है, बल्कि आधुनिक सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है, जिससे यह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पर्यटन नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

शब्दकोशः किराडू मंदिर समूह, मारू-गुर्जरा स्थापत्य, मध्यकालीन राजस्थान, मूर्तिकला और संरक्षण, सांस्कृतिक पर्यटन।


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