जयपुर शहर के यातायात घनत्व और बस मार्ग विश्लेषण के अध्ययन से यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि शहर के केंद्रीय भागों में यातायात का दबाव अत्यधिक है, विशेष रूप से एम.आई. रोड, टोंक रोड, सिंधी कैंप, बापू बाजार, और अजमेरी गेट जैसे क्षेत्र सबसे अधिक भीड़भाड़ वाले पाए गए हैं। इन क्षेत्रों में बसों की संख्या तथा उनकी आवृत्ति अपेक्षाकृत अधिक होते हुए भी यात्रियों की संख्या इतनी अधिक है कि बसें अक्सर अपनी अधिकतम क्षमता से अधिक यात्रियों को वहन करती हैं। दूसरी ओर, शहर के बाहरी हिस्सों जैसे जगतपुरा, वैशाली नगर, सीतापुरा, चांदपोल, और मानसरोवर जैसे उपनगरीय क्षेत्रों में यातायात घनत्व अपेक्षाकृत कम पाया गया, जहां यात्रियों की संख्या सीमित है तथा बसों का संचालन अंतराल अधिक है। ळप्ै तकनीक द्वारा तैयार किए गए यातायात घनत्व मानचित्रों से यह भी पता चला कि जयपुर में सुबह 8ः00 से 10ः00 बजे तथा शाम 5ः00 से 8ः00 बजे के बीच यातायात का दबाव सर्वाधिक रहता है, जिसे पीक टाइम कहा जा सकता है। इस दौरान प्रमुख मार्गों पर वाहनों की गति घटकर न्यूनतम स्तर तक आ जाती है, जिससे परिवहन दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और ऊर्जा की अनावश्यक खपत बढ़ती है। ळप्ै आधारित इस अध्ययन ने यह भी दर्शाया कि बस रूटों की परिचालन व्यवस्था को यदि यातायात घनत्व, यात्रियों की मांग और भौगोलिक स्थिति के आधार पर पुनर्गठित किया जाए, तो सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की प्रभावशीलता में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है। ळप्ै हीटमैप और रंग-कोडिंग तकनीक से यह पहचानना सरल हुआ कि किन मार्गों पर यात्री अधिक हैं और किन पर बसें लगभग खाली चल रही हैं। इन आंकड़ों के आधार पर यह अनुशंसा की जा सकती है कि उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त बस सेवाओं की शुरुआत की जाए, वहीं कम दबाव वाले क्षेत्रों में बसों की संख्या को तर्कसंगत रूप से घटाया जाए। साथ ही, कुछ स्टॉपेज़ के स्थानों को यात्रियों की सुविधा के अनुरूप पुनः निर्धारित करने की आवश्यकता है, ताकि बस रूट अधिक व्यावहारिक और उपयोगकर्ता.केन्द्रित बन सकें। इस प्रकार, यह अध्ययन जयपुर शहर में सतत और संतुलित यातायात प्रबंधन की दिशा में एक ठोस कदम सिद्ध होता है, जो भविष्य के लिए एक वैज्ञानिक परिवहन नीति निर्माण का आधार प्रदान करता है।
शब्दकोशः भौगोलिक सूचना प्रणाली (ळप्ै), यातायात घनत्व, बस मार्ग विश्लेषण, परिचालन दक्षता, हीटमैप तकनीक, शहरी परिवहन, स्थानिक वितरण,सतत गतिशीलता।