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राजस्थान में लोक कलाओं का इतिहास

मनोज कुमार शर्मा एवं डॉ राजेंद्र प्रसाद (Manoj Kumar Sharma & Dr. Rajendra Prasad)

लोक चित्रकला भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है जो लोक जीवन, रीति-रिवाजों, त्योहारों, धार्मिक आस्थाओं और पारंपरिक कथाओं से जुड़ी होती है। यह कला पीढ़ियों से चली आ रही है और आम लोगों द्वारा, बिना औपचारिक प्रशिक्षण के, सहज रूप से विकसित की गई है। लोक कला (थ्वसा ।तज) एक ऐसी सांस्कृतिक विरासत है, जो दुनिया भर की सभ्यताओं के जीवन, परंपराओं और विश्वासों को अभिव्यक्त करती है। यह आम लोगों द्वारा सृजित कला होती है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक या प्रायोगिक रूप से आगे बढ़ती है। विश्व की हर संस्कृति में लोक कलाओं का विशिष्ट स्थान रहा है, जो मानव इतिहास की विविधता और एकता को दर्शाती हैं।

शब्दकोशः भारत, राजस्थान, लोक कलाएं, सामाजिक, मधुबनी, वरली, फड़।


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